क्यों ना कुछ क्षण ठहरे और हम पुलवामा की बात करें |
जो वीरगति को प्राप्त हुए थे चलो कुछ क्षण उनको याद करें |
जब नम होती हैं आंखें सबकी,
तब आतंकी जश्न मनाता है |
14 फ़रवरी 2019,
इसे काला दिन भी कहा जाता है |
3 Baje ही थे और अठहत्तर बसों का काफिला,
जम्मू से श्रीनगर की ओर बड़ चला था |
अभी तो छुट्टी से लौटा था जवान,
और फिर से हथेली पर अपनी जान रख चला था |
खौफनाक था रास्ता,
और दो सौ इख़्तर किलोमीटर की दूरी थी |
घात लगाए बेठे आतंकी,
जिनके सर जिहाद की फुतूरी थी |
भरा RDX गाड़ी में और आदिल अहमद फिर तैयार हुआ |
बेखबर सेनानियों पर पीठ पीछे वार हुआ |
दो बसों के बीच में गाड़ी को फिर वो ले गया |
इक Jaishh-e-mohd आत्मघाती जान सब की लगाया |
हर साल श्रद्धांजलि देते हो हमको, पर क्या ह्रदय तुम्हारा रोता है?
हर साल हमें याद करते हो, पर क्या तुमने यह कभी सोचा है कि,
गद्दार अपने ही देश में है, वो इस देश को तोड़ना चाहते हैं |
जिसके लिए हम शहीद होजाते है, यह उस तिरंगे को ही झनजोड़ना चाहते हैं |
किस समय हमारी बस चली, कहां कौन फौजी तैनात हुआ |
सिर्फ हमारी बस बुलेट प्रूफ नहीं, यह कैसे उनको ज्ञात हुआ |
भारत माता हम शर्मिंदा हैं क्योंकि अफजल आज भी जिंदा है |
हर वो गद्दार अफजल है जो अफजल-अफजल गाता है |
हर वो गद्दार अफजल है जो देश के टुकड़े चाहता है |
हर वह गद्दार अफजल है जो देश विरोधी नारे दे |
हर वह गद्दार अफजल है जो आतंकियों को सहारे दे |
जिस घर से निकलेगा अफजल, उस घर की नीव दह जाएगी |
यह रक्तबीज से अफजल को, भारत मा क्षण भर में पीजाएगी |
-Written By Milind Panwar
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